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वर्तमान युग मे वैवाहिक सम्बन्ध कमजोर हेबाक कारण कि?

मिथिलामें वैवाहिक सम्बन्ध आब ओतेक मजबूत किऐक नहि?
शोध-विचारः प्रवीण नारायण चौधरी
vivah par mehandi raangal haath१. विवाहक औसत उम्र पहिले सँ बहुत बेसी।
बाल विवाह सँ कनेक हँटल रजस्वला धर्मकेर प्राप्ति उपरान्त मिथिलामें आम मैथिल बेटीक विवाह लेल सोचय लगैत छल, ई परंपरा शायद हाल ८० के दशक धरि देखल गेल अछि। एखनहु किछु पिछडल तवकाक लोकजनमें एहि परंपराक निर्वाह कैल जाइत अछि, यथा डोम, दुसाध, चमार, कुम्हार, कियोट, मुशहर, आ मुस्लिम, आदि। लेकिन तथाकथित उच्चवर्ग ब्राह्मण, कायस्थ, भुमिहार, राजपुत, आदिमें आब कानूनी उम्र यानि कम से कम १८ वर्ष तक तऽ विवाह करेबाक प्रश्ने नहि उठैत छैक, ऊपर सँ उच्च शिक्षा प्राप्त करबाक महात्त्वाकांक्षाक संग-संग अपन स्वाबलंबन प्राप्त करबाक चक्करमें निसंदेह विवाहक औसत उम्र २५-३० वर्ष बनि गेल छैक।
२. वर्तमान परिवेशमें टीवी-सिनेमाक असरसँ विवाह पूर्व प्रेम-चक्कर बढनाय।
एहि में कतहु दू मत नहि जे क्रमश: सामाजिक विकासमें टीवी, सिनेमा, कंप्युटर, मोबाइल आ अन्य उपकरणक संग साबिक सँ रहल मैगजीन, उपन्यास, फूहर-साहित्य, सेक्स व मनोरंजन कथा आदिमें जुडि गेल अछि जेकर प्रचार-प्रसार मिथिलामें सेहो खूब होवय लागल छैक। महिला-स्वतंत्रता जतय पहिले किछु सीमित जाति-समुदायमें रहल छल आ विवाहेतर सम्बन्धक कोनो खास फरक मात्र ओहेन गोटेक समुदायमें बड पैघ नहि वरन् सामान्य मानल जेबाक एक संभावना रहैत छल से आब हर समुदायमें मानू खूब फूलित-फलित होवय लागल अछि। साइकिल, मोटरसाइकिल, गाडी आब मिथिलाक महिला सेहो चलबैत छथिन, तखन सिनेमा जेकाँ प्यार नहि होइन तऽ फोरवार्डनेस कथी लेल अपनेली! अवस्था एहेन छैक जे आब विवाह पूर्व शारीरिक सम्बन्ध आ विवाहेतर शारीरिक सम्बन्ध के संस्कृति प्रवेश पबैत मिथिलाक स्वच्छताकेँ प्रदूषित कय चुकल छैक।
३. नशापान आ प्रदर्शनकारी जीवनचर्याक अनियंत्रित असर।
समाजमें आब भाँग, गाँजा, ताडी, महुआ, देसी नहि बल्कि विदेशी शराब अश्लील सीडी-विडियो आदिक प्रदर्शन सँ आम जीवनचर्या काफी प्रभावित छैक। यदि समाजक पुरुषमें विकृत एतैक तऽ अन्तिम प्रभाव महिलामें सेहो प्रदूषण प्रवेश करेबे करतैक। विगत किछु वर्ष सँ वेश्यावृत्ति आ परस्त्रीगमन केर संख्यामें बहुत पैघ बढोत्तरी देखल जा रहल छैक। नशापानक जैड छैक मानसिक विकृति आ कम मेहनत सँ बेसी आमदनी ताकय के एक अजीबोगरीब मानसिकता, एहि के चलते अपराध आ देखावटी जीवन-शैलीक कारणे जीवनचर्या अनियंत्रित भेल जा रहल छैक।
४. दहेजक विकृत स्वरूपक असर लोकचर्याकेँ प्रभावित केने जा रहल छैक।
वैवाहिक सम्बन्ध कायम करबाक लेल न्युनतम् पूँजी – यानि दहेज आ विवाह खर्च केर सीमितता आ वर्तमान परिवेशमें इज्जत सँ पैघ आर्थिक हैसियत बनेबाक होडके चलते सेहो वैवाहिक न्युनतम उम्र प्रभावित भेल जा रहल छैक, एकरो प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष असर समाजक हर व्यवस्थामें अस्वच्छता-अनैतिकताक प्रवेश करा रहल छैक।
५. मूल संस्कृति आ सभ्यता सँ दूरी।
समग्र में परिस्थितिक बदलाव आ राजनैतिक असुरक्षा (बिना राज्य आ मजबूत विकसित स्वविकास साधन) के कारण मिथिलाक हर मूल्यवान-महत्त्वपूर्ण व्यवस्था आब समाप्तप्राय भऽ रहल छैक। जाहि संस्कृति पर संसारकेँ गर्व छल से आब क्रमश: बिगडैत जा रहल छैक। पारिवारिक धर्म – सामाजिक धर्म – सामुदायिक धर्म – सांसारिकताक उच्छृंखल वर्तमान भौतिकवादितामें एना कऽ फँसि रहल छैक जाहि सँ निजात लेल बड पैघ क्रान्ति आ स्वराज्य स्थापना मात्र एक अन्तिम उपाय देखाइत छैक जाहि सँ पलायन रोकल जा सकैक, कुटमैतीक सहज वातावरण बनाओल जा सकैक, आदर्श वैवाहिक सिद्धान्त कानूनी रूपमें समाजपर थोपल जा सकैक, अव्यवहारिक आ प्रदर्शनकारी अपव्यय आदिसँ बचेबाक लेल समुचित राजकीय उपाय कैल जा सकैक… यैह सभ उपाय सँ मिथिलाक लोक-संस्कृतिकेर रक्षा संभव छैक आ परिस्थितिकेँ सहज बनाओल जा सकैत छैक, वरना अनियंत्रण आ अराजकता स्वाभाविके छैक, रहबे करतैक, नित्य बढिते जेतैक।
जाहि भूमिपर वेदान्त अनुरूप व्यवहार छलैक, ताहि ठाम वेद-विरुद्ध व्यवहार बढि गेलाक कारणे आब विवाह सम्बन्ध – एक पति वा पत्नी संग जीवन निर्वाह – ब्रह्मचर्य सिद्धान्त आदि प्रभावित रहतैक आ दिन ब दिन समस्या बद सँ बदतर होइत रहतैक। आवश्यकता स्वयं जागृति आ स्वराज्य स्थापना सँ मिथिलाक अनमोल संस्कृतिकेँ बचेबाक छैक आ एहेन समस्या लेल समाजिक नियमकेर पालन जरुरी छैक।
जय मैथिली! जय मिथिला!!
हरि: हर:!!                                                                                                -मिथिला जिन्दाबाद